उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। राज्य की सरकार देश की पहली योग नीति को लागू करने की तैयारी कर रही है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति के क्षेत्र में भी एक नई क्रांति लाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह नीति आयुर्वेद और योग को एक व्यापक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगी।
योग नीति का उद्देश्य:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि योग नीति के तहत आयुर्वेद और योग को एक साथ लाकर राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को सुदृढ़ किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन को भी बढ़ावा देना है। सरकार का मानना है कि योग, आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को एकजुट करके स्वास्थ्य देखभाल की नई दिशा तय की जा सकती है।
आयुष आधारित स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना:
राज्य सरकार पहले से ही आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी) के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सक्रिय है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 300 आयुष्मान आरोग्य केंद्र चलाए जा रहे हैं, जो आयुष पद्धतियों के तहत लोगों को उपचार प्रदान करते हैं। इन केंद्रों के माध्यम से योग, आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक उपचार विधियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
50 नए योग और वेलनेस केंद्रों की स्थापना:
योग नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू राज्य में 50 नए योग और वेलनेस केंद्रों की स्थापना है। इन केंद्रों में योग सत्र, वेलनेस प्रोग्राम, ध्यान, और शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देने वाली गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। यह केंद्र न केवल राज्य के नागरिकों के लिए, बल्कि पर्यटकों और स्वास्थ्य प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेंगे। ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे योग के प्रमुख केंद्रों के साथ, इन नए योग और वेलनेस केंद्रों का उद्देश्य लोगों को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
योग और आयुर्वेद: एक साथ स्वास्थ्य के लिए
योग नीति के तहत आयुर्वेद और योग को एक साथ जोड़ने से न केवल लोगों को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लाभों का एहसास होगा, बल्कि यह भारत की प्राचीन चिकित्सा धरोहर को भी एक वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगा। आयुर्वेद और योग के साथ, राज्य सरकार लोगों को प्राकृतिक और बिना दवाओं के उपचार की दिशा में मार्गदर्शन करने की कोशिश कर रही है, जिससे जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को प्रभावी तरीके से रोका जा सके।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव
यह पहल राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत है। आयुर्वेद और योग के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बेहतर किया जा सकता है, जिससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक स्थिति में भी सकारात्मक बदलाव आता है। मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याओं को योग के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
राज्य सरकार का यह कदम एक संपूर्ण स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती का मॉडल तैयार करेगा, जहां लोग न केवल बीमारियों से बचाव के उपाय सीखेंगे, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के तरीके भी अपनाएंगे।
स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा
इस नई नीति का एक और बड़ा फायदा राज्य के पर्यटन क्षेत्र को भी होगा। उत्तराखंड, खासकर ऋषिकेश और हरिद्वार, पहले से ही योग और आध्यात्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं। अब, जब राज्य में योग और वेलनेस केंद्रों की संख्या बढ़ेगी, तो यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे राज्य में स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जो न केवल आय के नए स्रोत खोलेगा, बल्कि राज्य की संस्कृति और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी वैश्विक स्तर पर सम्मान मिलेगा।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड का यह कदम देशभर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत कर सकता है। योग नीति के तहत आयुर्वेद और योग को एक साथ लाने से न केवल राज्य के नागरिकों का स्वास्थ्य सुधरेगा, बल्कि यह पूरे देश को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर आकर्षित करेगा। योग और आयुर्वेद की ताकत को एकजुट करते हुए उत्तराखंड ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाने का काम किया है।
यह कदम न केवल राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त करेगा, बल्कि स्वास्थ्य पर्यटन के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कराएगा। अब, राज्य का हर नागरिक और पर्यटक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए योग और आयुर्वेद का लाभ उठा सकेगा।
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